क्यों ज्योतिष की आवश्यकता है?
जिस समय में, तुम्हारा जन्म हुआ, एक सत्य घटना है और इस जन्म को सत्यापित आकाशीय तारा मंडल करता है। इस तारा मंडल का चित्रण जन्मांग पर दर्शाया जाता है। यह आकाशीय ग्रह स्थितियों का चित्रण जन्मांगचक्र (कुंडली) पटल पर तुम्हारे जन्म को सत्यापित करके प्रत्यक्ष दर्शन को प्रमाणिता के साथ प्रस्तुत करता है।
यह कुंडली तुम्हारे जन्म का प्रमाण-पत्र है। इस कुंडली के द्बारा तुम्हारे स्वयं का व्यक्तित्व, आस्तित्व और कृतित्व का सरलता से विस्तृत वर्णन को भूत, वर्तमान और भविष्य का दर्शन कराता है।
यह जन्म-कुंडली तुम्हारे जीवन (जन्म से लेकर मृत्यु तक) को चलाने वाले (मन, कर्म और वचन) का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है।
निम्नलिखित सूत्रों का पालन करके तुम जीवन मार्ग का दर्शन प्राप्त कर लोगे:-
सूत्र:१ इस जीवन को सहज, सफल और सुफल प्रदान करना है तो कुंडली को तुम जीवन मार्ग की दिग्दर्शिका बना लो।
सूत्र: २ खुद ही अपनी कुंडली की विवेचना मत करो, क्योंकि भविष्यवाणी में १००% मनोवैज्ञानिक त्रुटि, "स्वयं के द्बारा निर्धारित किया गया भविष्य कथन को सिद्ध करने तथा पूरा करने वाला पूर्वाग्रही वाक्य" अधिकांश असत्य सिद्ध हो जाता है। योग्य मनोज्योतिषाचार्य से संपर्क करके अपने कुंडली से स्वयं को सत्य से आत्मसाक्षात्कार करो।
सूत्र:३ तूम अगर स्वयं को योग्य मनोज्योतिषाचार्य की श्रेणी में स्थापित करने का लक्ष्य बनाया है तब "मनोवैज्ञानिक त्रुटि" को नियंत्रित करने हेतु मन, कर्म और वचन को श्रीअंश बिन्दु पर साधना द्बारा स्थापित करना होगा। इस कला को सहज ही डॉट नामक मनो-यंत्र पर ज्ञान और कला को सीख करके उपरोक्त त्रुटि को नियंत्रित कर सकते हो तथा "जन्मांगचक्र" से भविष्यवाणी कर निष्पक्ष निर्णय ले सकते हो।
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