मन का सिद्धान्त
मनोविज्ञान का इतिहास के अध्ययन से अवगत होता है कि मन को जानने और समझने के लिये दो प्रकार की विधियाँ उपलब्ध है- अंतनिरीक्षण (introspection) तथा प्रक्षेपण (projection) विधियाँ है। यही दो विधियां मन को अध्ययन करने के लिये प्रयोग में लाते हैं।
मनोविज्ञान में सतत शोध द्वारा विभिन्न प्रकार के विधियों का सृजन हुआ है। जैसे संज्ञानात्मक दृष्टिकोण के मापन हेत मनोमिति का प्रयोग किया जाता है। मनोवैज्ञानिक पैमाना या मापनी अलग-अलग बिन्दुओं पर अंकित अंकों के होते हैं। मनोमिति या मानस-मिति (psychometry) के द्वारा संज्ञानात्मक दृष्टिकोण का मापन और गणना सरलता से मुल्यांकन करके किस हद तक विचलन, झुकाव या विषयांतरकरण इंगित पैमाने पर हुआ है। इस प्रकार के अंतर का चित्रण और विश्लेषण को प्रस्तुत करके बताया जा सकता है।
मनोविज्ञान में, संज्ञानात्मक रूप से व्यक्तिगत संरचना या निर्माण (Cognitive construct) की विधि द्वारा प्रक्षेपण से प्राप्त प्रकरण ( Content) जिसमें शब्द-विचार के आख्यांत (narrative) विधि के माध्यम से आलेख (script) ) का व्याख्या (interpretation) करके, मन का स्थिति को झुकाव (inclination) को किसी एक मानसिक स्थितियों में प्रमाणिक (certify) करते है। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान की विधि मन का विज्ञान के लिये वरदान साबित हुई है।
मनुष्य दुनिया (World of pair of opposites) को एक विशेष लेंस ( Lens) के द्बारा जिसे वह व्यक्तिगत रूप से निर्माण (construct) एक द्विध्रुवीय मानसिक फर्मा (bipolar mental template) करता है। यह व्यक्तिगत निर्माण (personal construct) मनुष्य के मन का अध्ययन करने में विशेष और विशिष्ठ विधि के रूप में योगदान प्रदान करता है। यह सैद्धान्तिक विधि मन की विभिन्न स्थितियों को अध्ययन करके स्पष्ट जानकारी प्राप्त करें में सहयोग प्रदान करती है।
मन मानसिक अवस्थाओं में घटने वाली घटनाओं (जैसे धारणा, दर्द और आराम का अनुभव, विश्वास, इरादा और भावना) का जिम्मेदार है। क्योंकि मन मानसिक संकायों के समूह (जैसे विचार, कल्पना, स्मृति, इच्छा और संवेदना शामिल है) को अनुक्रियांवयन की क्षमता एवं दक्षता रखता है।
मन और उनके मानसिक स्थितियों का चित्रण इस तरह में है:-
चित्रण-1:- मन चेतना प्रधान है। मन चेतना-आधारित दृष्टिकोण के द्वारा, मानसिक अवस्थाओं में कार्य करता है। मन मानसिक घटनाओं के होने की अनुमति देता है। मन, उपयुक्त मानसिक घटना की अनुमति देता है जब तक घटना मन से सही संबन्ध में होता है।
चित्रण-2:- मन का साभिप्राय (intention) की शक्ति का दृष्टिकोण, मन को मानसिक अवस्थाओं को शक्ति प्रदान करती है। जिससे मन मानसिक अवस्था के स्तर पर विषय वस्तुओं को संदर्भिता करता है साथ-साथ द्बिधूविकृत दुनिया (bipolar world) का प्रतिनिधित्व करता है। मन ही विषय-वस्तु को अनुमति प्रदान मानसिक अवस्थाओं के माध्यम से करता है।
चित्रण-3 मन आंतरिक और बाह्य क्रियाओं द्वारा उत्पन्न उत्तेजनाओं का व्यवहारिक जबाब कैसे देना है? जिससे कार्यात्मकता, मानसिक स्थिति की भूमिका सहज व्यवहार मन द्बारा निभाई जा सके।
सार, मन के द्वारा मानसिक संकायों द्वारा अवस्थाओं में होने वाली घटनाओं का व्यवहारिक चित्रण संभव है। मन का व्यवहारिक चित्रण, मनोवैज्ञानिक विधियों के सिद्धान्तों का अध्ययन एवं प्रयोग के माध्यम से सरलता से स्वयं एवं अन्य मानव मात्र को भी मन के विज्ञान के जान के सहारे समझाया और सिखाया जाता है।
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