मन का पाश्चात्य और प्राच्य सिद्धान्तों का तुलनात्मक चित्रण

इस लेख में, मन का पाश्चात्य और प्राच्य सिद्धान्तों का तुलनात्मक चित्रण के आधार पर विश्लेषण करते हैं। पहले- (क) पाश्चात्य और फिर (ख) प्राच्य सिद्धांत प्रस्तुत किया गया है:-

क) पाश्चात्य

1. मन कैसे व्यवहार करता है? इस प्रश्न के उत्तर पर प्रकाश डालता है।

2. मन कैसे कार्य करता है? यहाँ मन त्रिबिन्दु के ताल पर द्बंदात्मक रूपरेखा में घटित होता है। यहां मन के द्वारा सोचने की क्रिया का उद्भव को प्रकाशित करता है।

3. मन के सहज-भाव का उजागर करता है।

4. सोचना भी मन की क्रिया का हिस्सा है मन में निरंतरता होती है।

5. मन और आत्मा का संबंध मन को कैसे पहचाने ?

ख) प्राच्य

1) मन के गुण-धर्म क्या इस प्रश्न पर प्रकाश डालता है।

2) मन कैसे कार्य करता है ? यहाँ त्रिगुण के आधार पर विश्लेषण और व्याख्या प्रदान किया गया है।

3) मन के सहज-भाव को उजागर करता है।

4) मन में निरंतरता होती है।

5) मन और आत्मा का सबंध मन को कैसे पहचाने ?

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