मन का कार्य किस पर निर्भर है?

मन के कार्य की निर्भरता द्बिधूविकृत शब्द युग्म पर होती है। द्बिधूविकृत शब्द युग्म मन को कार्य करने का मुख्य कारण है।मन का कार्य असमंजस में सुचारू रूप से कार्य करता रहता है। यह कार्यक्रम दोलन के रूप में व्यवहार करता रहता है। इस मन के दोलन का प्रयोजन विचार की उत्पत्ति में संलग्न रहता है।

द्बिधूविकृत शब्द युग्म ही मन के प्रकटीकरण का कारण है। यह मन उद्बिग्न होता है जब वह द्बिधूविकृत शब्द युग्म में से किस एक ओर आकर्षित होता है। व्यक्ति व्यग्रता से ग्रसित हो जाता है और पीड़ित हो जाता है।

द्बिधूविकृत शब्द युग्म एक होने के भाव में आ जाने पर मन का लय हो जाना निश्चित होता है। इस भाव को मन को प्राप्त होते ही व्यक्ति सहज ही शांत होने के साथ साथ आनन्द विभोर हो जाता है। यह मन की स्थिति में स्वयं व्यक्ति आत्मज्ञानी होता है। दृष्टा भाव में स्थापित होता है। इस मन की स्थिति हर एक प्राणी मात्र का जीवन लक्ष्य है।

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