मन प्राच्य अर्थ और, परिभाषा
मन को मनस कहते है। मनस का मतलब मन के द्वारा बौद्धिक संचालन और भावनाओं का क्षेत्र है।
भारतीय मनोवैज्ञानिक के अनुसार मन मस्तिष्क से भिन्न है। मन की कोई भौतिक संरचना अथवा अवस्थिति नहीं होती है। मनका आविर्भाव एवं विकास होता है। ऐसा तब होता है जब इस संमार में हमारी अतःक्रियाएँ एवं अनुभव एक व्यवस्था के रूप में गतिमान होकर संगठित होते हैं। मस्तिष्क ही मन की विविध प्रकार की मानसिक प्रक्रियाओं के घटित होने के लिये उत्तरदायी है। मस्तिष्क में क्रियायें संकेत करती है कि मन कैसे कार्य करता है ? मस्तिष्क की प्रक्रियाओं से बहुत अधिक अपना अनुभव और मानसिक प्रक्रियाओं की चेतना होती है । मानसिक क्रियाएँ निरंतर चलन रहती है। चाहे हम सोते है चाहे हम जगे होते हैं।
मनोविज्ञान एक विद्याशाखा के रूप में मन को समझने का प्रयास करता है कि मन कैसे कार्य करता है? एवं विभिन्न मानसिक क्रियायें और विविध व्यवहारों के रूप में कैसे उत्पन्न होता है? मनोविज्ञान मन, व्यवहार, अनुभव एवं मानसिक प्रक्रियाओं अध्ययन करता है।
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