क्यों कल्पनिक पेंडुलम ?

मन एइदैतिक (Eidetic)घटना है।

यह एक प्राकृतिक संज्ञानात्मक(cognitive) अनुक्रिया(response) है जिसे आध्यात्मिक (metaphysical) मनोवृत्तिय (attitudinal) अनुक्रिया (response) को द्वंद्वात्मक (dialectical) प्रणाली (system) में घटित घटना के रूप में पंजीकृत किया जाता है।

यह अनुक्रिया मन को एइदैतिक घटना के रूप में प्रतिबंबित होता है। 

मन एक एइदैतिक घटना होने की वजह से इसे कल्पनिक पेंडुलम  की पद्धति द्वारा मन को स्थापित किया जाता है।

एइदैतिक विधियाँ कल्पनिक पेंडुलम की छवियों की अनुभूतियों होने में, परिलक्षित करने में और  समझने  में विशेष योगदान प्रदान करते है। 

प्रत्येक व्यक्ति के नाड़ी गति की दर अलग क्षणों में अलग है। इसलिए नाड़ी दर कल्पनिक पेंडुलम की दोलन की अवधि विभिन्न व्यक्तियों और क्षणों के अनुसार अलग- अलग होगी।

कल्पनिक पेंडुलम का दोलन सहज रूप से नाड़ी गति की दर का ही प्रतिनिधित्व करता है। इसके प्रयोगात्मक गुण और क्रिया को मानसिक आधार पर एइदैतिक विधि द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।

एइदैतिक विश्लेषण विधि

एइदैतिक विश्लेषण एइदैतिक विवरण के संदर्भ में किया जाता है यह वह ज्ञान है जो आध्यात्मिक अनुक्रिया प्रदान करता है तथा मन की प्रतिबिंब का प्रतिनिधित्व करता है।

यहां एइदैतिक विश्लेषण इस धारणा के आधार पर उन तथ्यों की जांच करता है कि वह कौन से ऐसे तथ्य है जो कल्पना के द्वारा खोज में विचरण करते हुये अपरिवर्तनीय रहते है।

एइदैतिक विवरण उस विश्वसनीय ज्ञान को दर्शाता है जिसे व्यक्ति के जीवन में जिये हुये अनुभव है। 

एइदैतिक स्मृति विधि

एइदैतिक स्मृति विधि का संबंध स्मृति में मानसिक छवि की पूर्ण स्पष्टता से है तथा जिसे व्यक्ति वास्तविक रूप से स्मृति में अनुभव के रूप में देख रहा है।

एइदैतिक स्मृति विधि कल्पनिक पेंडुलम और उसके ठहराव की स्थिति की सार्थकता का समर्थन करता है तथा इसके गणकीय मूल्य को द्वंद्वात्मक रिकॉर्डर पर पंजीकृत करने में सहयोग करता है।


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