मन का मनका
मनका मोती की माला से मंत्र सिद्ध होता है। जब मन समत्व की स्थिति को प्राप्त कर लेता है। सिर्फ इस मनका की माला को घुमाने से मन का भाव, नहीं बदलता है और मन की हलचल शांत नही होता है।
कबीर दास जी ने मन को इंसान के हाथ में लिये मोती की माला लिये सलाह दी है कि माला हाथ में लेकर फेरने के बजाए मन के मोतियों को बदलने पर अभ्यास करो। इस प्रयोग द्वारा मन की शान्ति सरलतापूर्वक प्राप्त हो जायेगा।
माला फेरत जुग भया, फिरा में मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।
मन की शान्ति के लिये, मन के मोतियों को बदलने के लिये डॉट नामक मनो-यंत्र पर विधिवत अभ्यास द्वारा मन की शान्ति अनुभव में घटित होता है।
मन का मनका क्या है ?
मन का मनका का मतलब, डॉट पर दो छोर पर विपरीत युगल शब्दों की जोड़ी है। यह मनका मन को प्रेरित करना, फूलना फलना, दोलन करना, विचार विकास पाना, हलचल बताना, मन की अवस्थाओं का बोध कराना, भान, दिशा और मन का बोध का Pair of Opposites (PoOs) के मध्य में होता है। अर्थात, मन का शब्दों के विस्तार में विचार में व्यक्त होता है।
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