मन का वर्तमान परिवेश के समय में उपयोगिता
पिछले लेख (मेरा मन: एक परिचय और समीक्षा) में, हम लोगों ने पढ़ा कि मेरा मन उपस्थिति और गतिशीलता का बोध कराता है। तथा मन है तो 'मैं हूं' और इसलिए व्यक्ति मनुष्य कहलाता है साथ-साथ क्रिया होने पर गतिशीलता का बोध होता है।
इस लेख में, हम लोग मन की उपयोगिता के बारे में जानेंगे। आजकल के वर्तमान समय के बदलते परिवेश में, मन की स्थिति में, 'मैं हूं' उपस्थिति और उत्पन्न क्रिया (गतिशीलता) का महत्वपूर्ण भूमिका है। मन दो प्रकार से प्रभावित हो सकता है। इस वर्तमान परिपेक्ष में, मन व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। जब व्यक्ति का मन अंश मात्र भी प्रभावित होता है तब व्यक्ति का दृष्टिकोण साथ ही प्रभावित होता है और परिवर्तित होता है। इस वर्तमान मन की स्थिति में, मन की स्थिति प्रभावित नहीं हुई है। तब इस मन की स्थिति का महत्व अधिक बढ़ जाता है तथा मन की उपयोगिता अधिक हो जाती है।
सार, प्रभावित मन की तुलना में और अप्रभावित मन अधिक महत्वपूर्ण है तथा वर्तमान समय और परिवेश में उपयोगिता व्यक्ति के लिए होती है
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