मन के संदर्भ में पाश्चात्य विद्वानों के शोध, अनुभव एवं विचार

पिछले लेख में हम लोग ने जाना कि तर्क संगत आधार पर मन को जाना और पहचाना जाता है। पंचसूत्र या पंचमंत्र को जानने और समझने की कोशिश किया गया है। यह भी जाना कि पंच-मंत्र मनो-यंत्र के चरण है। 

इस लेख में, हम लोग पाश्चात्य विद्वानों के शोध, अनुभव और विचार का वर्णन एवं व्याख्या करके मन को विद्वानों के ज्ञान के माध्यम से जानने और समझने का प्रयास करेंगे। 

इस लेख में, हम लोग सिर्फ प्रमुख विद्वानों के शोध अनुभव और विचारों से अवगत होगे। 

Plato एक philosopher, जो प्राचीन ग्रीस में समय काल (428-347 ई०पू०) में रहें है। उनका विचार था कि मन और मन के सारे अनुभव का उद्भव और अस्तित्व में होने की स्थिति मानसिक अवस्था के सहज-भाव में होता है । तदोपरांत Plotinus (204-270) ने बताया कि मन ही प्रत्यक्षण में मुख्य भूमिका निभाता है। मन विषय या वस्तु को क्रमबद्ध और आकार प्रदान करता है। Plotinus के यह भी बताया की सहज-भाव (the One) or (being) स्वम् में ही स्वतःसिद्ध, संपन्न और उत्तम है कि व्यक्ति को सब कुछ प्रदान कुछ भी प्रदान कर सकता है। यह भाव सबसे सरल और सहज सत्य को प्रकट करता है। 

George Wilhelm Friedrich Hegal (1770-1831) एक German विद्वान थे। जिन्होंने बता‌या कि के मन कैसे कार्य करता है ? उनके अनुसार मन three beats rhythm में कार्य करता है। अर्थात मन तीन धड़कन की ताल पर कार्य करती है। यह मन के द्वारा सोच के Pattern को बताता है। इस मन के सोच का pattern द्वंदात्मक (dialectical) रूपरेखा (framework) में घटित होता है। Hegal ने तीन ताल बिन्दुओं को नाम दिया है- thesis, synthesis & antithesis है। व्यक्ति के सोचने की क्रिया एक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया सोच की circular है। यह सोच का एक बिंदु starting point है। -घूमकर ultimately उस बिंदु यह सोच पर पहुंच जाता है जिस बिन्दु को Synthesis कहते हैं। अर्थात सोच एक moment से दूसरे moment में होने वाली प्रक्रिया है। Hegel मानते है कि सोच इसी pattern पर हर वक्त में अग्रसर या अगले पल-पल हर पल बदती रहती है। सोच की प्रक्रिया निरंतर तो है ही लेकिन यह सोच circular भी है। सार, मन का उद्धव मानसिक अवस्था के सहज-भाव में होता है। यह सहज-भाव स्वतः सिद्ध संपन्न और उत्तम है और मन के सत्य को प्रकट करता है। मन तीन धड़कन की ताल पर कार्य निरंतर करता ही रहता है। मन का कार्य पल पल हर पल सोच के pattern को बताता है। मन की सोच का pattern circular होता है।

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