सहज-ज्ञान क्या है?
मन से सहज-ज्ञान प्रतिफलित होता है। यह ज्ञान इन्द्रियों के विषय रूपी संसार से परे आधारित है। मन की सहजावस्था में स्थित होकर जीवन यापन सहज स्वीकृति प्रदान करता हुआ सहज कर्म की ओर अग्रसित कर विश्रांति और आनन्द का अनुभव होता है।
मन ही एक मात्र परम दिव्य तत्व है। जो जीवन प्रबंध कर समाधान और निदान प्रत्यक्ष रूप में समक्ष प्रस्तुत करता है।
सहज-ज्ञान सभी द्वंदो से अंत:करण में प्रतिफलित होता है, जिससे अंत:करण की शुद्धता बनती है या बनी रहती है। इसी ज्ञान स्वरूप में आत्म तत्व की अनुभूति होती है।
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