मन का तीन स्वभाव क्या है?

मन एक विचार युक्त काल है।

मन का तीन प्रकार का स्वभाव है— उत्पन्न होना, स्थिति होना और लय होना।

यह स्थितियां मन का विषयों पर ध्यान और अनुक्रिया पर निर्भर होता रहता है।

इन स्थितियां मन का विषयों पर आसक्ति बन्धन है और अनासक्ति मुक्ति है।

मनोवैज्ञानिक परिपेक्ष में, मन संज्ञानात्मक प्रक्रिया का मुख्य  क्रियान्वयक है। मन के द्वारा ही प्रक्रिया प्रतिपादित होती है। मन के प्रतिफलन के आधार है―विचार, भाव और व्यवहार के रूप में प्रकट होते है। इन तीनों के ही आधार पर मूल्यांकन किया जाता है।

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