व्यक्तिगत सत्य क्या है?

अपने अन्दर के सत्य को जानो और पहचानों। संकट और संघर्ष के मध्य विजय है। विजय से ही सुख और सफलता प्राप्त है। कर्म को सहज भाव में रहते हुये भाग्य को रचने की कला-कौशल का प्रयोग कर विजय की अनुभूति कर आनन्द में बने रहना । आनन्द में बने रहे तथा सहज भाव में कर्म को रखते हुये विजय की अनुभूति करना ही भाग्य को रचने की कला- कौशल है।

प्र. भाग्य को रचने की कला-कौशल क्या है? 
उ. सहज भाव में, आनन्द का संचार अनुभव में होते हुये कर्म में गति देना तथा साथ ही विजय की अनुभूति होना ही भाग्य को रचने की कला-कौशल है। इस प्रयोग में, संकल्प अनुसार "जो होना है वो होना ही है।" 
प्र.भाग्य क्या है?
उ. जिसको दो मध्य भाग के मध्य का ज्ञान हो । | दो भाग के मध्य में ही मन, प्रकृत्ति और जीवन प्रकट होकर घटित हो रहा है। अर्थात, वह व्यक्ति जिसको विपरीत युगल आयाम में मध्य का ज्ञान हो उसे ही भाग्य वाला कहते हैं।

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