आप और ध्यानावस्था

आप भी अवश्य ही सफलता के शिखर पर होगें।

इस संसारिक परिवेश में व्यक्ति ने अपने शरीर को ही अपना मान कर अपने अंदर की इंसानियत को भूला दिया है। 

वह द्र्क्-भ्रमित हो गया है। वह यह भूल गया कि संसारिक परिवश में रहने के लिये हमें खुद के विचार और भाव के अलावा अन्य व्यक्ति के विचार और भाव को भी सोचना और समझना है और सम्मान देना है।

विचार और भाव की उत्पत्ति मन के द्वारा ही संचालित होता है। मन के विचार और भाव को परखने और समझने से परिणाम सफलता के स्वरूप में बन जाता है।

आपके जीवन के तीन विशिष्ठ उद्देश्य

उद्देश्य पूर्ण हो यह सबकी अभिलाषा है। शोध से यह पता चला है कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए तीन विशिष्ठ उद्देश्य है— सफलता, आनन्द और मधुर-सम्बन्ध, इन तीन में ही सारा जीवन लगा रहता है।  

आप, हम और आपका परिचय क्या है?

उपरोक्त प्रश्नों की सूची प्राय:  हमारे संज्ञान में आती रहती है और हम असमंजस का अनुभव कर विश्वास भरा सटीक उत्तर प्रस्तुत नहीं कर पाते है तथा स्वंय और प्रश्नकर्ता असंतोष महसूस करते है।            

अगर हम सम्पूर्ण ज्ञान, अनुभव और उपयोग का बोध हो या तीनों को ग्रहण कर लिया जाये तब हम अपने इस प्रश्न का सटीक उत्तर प्रस्तुत कर पायेगें।   

ध्यानावस्था

व्यक्ति मन को एक विशिष्ठ  प्रयोग में आँखें मूंदकर  कल्पना से पेन्डूलम को दोलन करने की स्थिति में ध्यानावस्था को प्राप्त करता है।

इस दैरान विषयों की प्रबलता किसी तीन मानसिक अवस्थाओं में से एक मानसिक अवस्था पर पेन्डूलम के दोलन के ठहराव को दर्ज करायेगा।  

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