मन का शास्त्रीय शोध विधि द्बारा भौतिक जगत के दर्पण में दर्शन

शास्त्रीय शोध विधि द्वारा मन का दर्शन वर्तमान समय के संदर्भ में, परिवेश के संदर्भ में, इस भौतिक जगत को दर्पण बनाकर के तथा मन की स्थिति को आधार स्वरूप में स्थापित करके अध्ययन करके मन को समझ कर सीखा गया है।
पिछले लेख में पढ़ें कि आप प्रभावित और अप्रभावित मन में से किस स्थिति में मन की उपयोगिता है।
इस लेख में, हम लोग मन का भौतिक जगत के दर्पण में दर्शन करेंगे। इस दर्शन को शास्त्रीय शोध विधि का प्रयोग करके मन को जानेंगे और सीखेंगे।
भौतिक जगत का दर्पण चलचित्र है यह जगत गतिशील और परिवर्तनशील दिखता है। इस संदर्भ में, भिन्न-भिन्न दृश्य का बोध होता है। इसके दो पहलू दिखते हैं। 
पहला पहलू, कुछ लोग मन के दृष्टिकोण का प्रयोग ऐसे तरीके से करते हैं कि भौतिक जगत के दर्पण पर भिन्न-भिन्न दृश्य होते हुए भी मन की स्थिति को अप्रभावित रखते हुए दृश्य द्वारा विचलित नहीं होते हैं। आसानी से अपने स्वयं की स्थिति को संतुलित बनाए हुए रखते हैं। इस भौतिक जगत के दर्पण पर विभिन्न दृश्यों के हलचल की स्थिति में, स्वयं को स्वस्थ बनाए रखते हैं।
दूसरे पहलू में, कुछ लोग मन के दृष्टिकोण का प्रयोग ऐसे तरीके से करते हैं कि भिन्न-भिन्न दृश्य के संपर्क में आने पर भी मन की स्थिति प्रभावित रहती है तथा बदलते मन की स्थिति से स्वयं की स्थिति को प्रभावित कर लेते हैं। इस अवस्था में, अस्वस्थ बने रहते हैं। 
सार, हम लोग जाने कि मन के दृष्टिकोण का प्रयोग न सिर्फ मन की स्थिति को संघात करता है बल्कि स्वयं की स्थिति पर संघात करता है।

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