मन की दो अवस्थायें क्या है?
मन की दो अवस्थायें होती है—
पहली कमजोर अवस्था। और दुसरी मजबूत अवस्था।
मन की पहली कमजोर अवस्था में मन कमजोर होने पर विभिन्न प्रकार की समस्याओं का अनुभव मानसिक अवस्थाओं होता है, जैसे―शंका, संसय, भ्रम, प्रश्न, अनिश्चिता, द्वंद, द्विधा, संदेह और आशय। इन सब का निराकरण, समाधान और निदान की आवश्यकता होती है। इन मानसिक अवस्थाओं की अचूक उपचार सिर्फ मन का विशेषज्ञ ही कर सकता है।
मन की दुसरी अवस्था को मजबूत अवस्था कहा गया है। मन मजबूत है तो दृष्टि स्थिर बिंदू पर होगी। मन को स्वतः ही ऊर्जा, बल, शक्ति, साहस और शान्ति का अहसास बना रहेगा। प्रत्येक परिस्थिति में जिम्मेदारी लेने, भागिदारी निभाने और उत्तरदायित्व का निर्वहन सकुशल प्रतिफलित होगा।
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