सटीक समस्या समाधान
इस जीवन मे, आप जो भी चाहते है:- विद्या, धन और संपदा यह सब आपके मनोदृष्टि के समक्ष ही उपस्थित हैं। आपके अंदर एक छुपी हुई रहस्यमय विचार-शक्ति है जो बाह्य आकर्षण द्वारा जीवन को वैभव से ओतप्रोत कर देती है।
मानसिक आकाश के गहरे में शब्द प्रकट होता है। शब्द को विचार-शक्ति मानसिक धरा पर लेकर आती है। जब मनोदृष्टि, मूलकेंद्र-बिन्दुवत हो तब स्पष्टता होती है इससे विचार-शक्ति प्रखर होती है। इस मनोस्थिति में, आप अपने विचार को शब्दों से वाक्यों में पीरो देते हैं तथा बाह्य धरातल पर फलीभूत होते हुए अनुभव करते हैं।
हम लोगों के जन्म से मृत्यु के बीच में जीवन के कई पड़ाव आते हैं। इन पड़ावों से जीवन की दिशा सुनिश्चित होती है। जीवन के यह पड़ाव दृग-भ्रमित करते हैं।
हम लोग अज्ञानता वश दिशा की बारिकी से परख या बिना सोचे-समझे निर्णय ले बैठते हैं। या कभी-कभी भ्रमित रहते हुए, आस-पास के लोगों से पूछ बैठते हैं और गलत निर्णय ले बैठते है तथा कुंठा के शिकार हो जाते है।
हमारे शोध के अनुसार आपके आसपास के लोग या तो अपने ही अनुभव या कथनी को आप पर थोप देते हैं या कही-सुनी या मनगढ़ंत कुछ भी बातें आप के निर्णय को आकार देने के लिए थोप देते हैं। आप व्याकुल होकर कुछ भी निर्णय ले बैठतें है । परेशान होकर दुःखी हो जाते है।
समय, देश काल और परिस्थिति सतत् बदल रहा है। अब व्यर्थ का समय गवाँ लेने का मतलब सफलता से कोसों दूर हो जाना। इस जन्म में, यह सुनहरा जीवन का पड़ाव दोबारा नही आता है।
इस तेजी से बदलते दौर में, आपके बहूमूल्य जीवन के पड़ाव को फलीभूत होने के लिए सिर्फ एक कर्मकांडी पुरोहित या पंडित या सिर्फ ज्योतिषी या सिर्फ मनोवैज्ञानिक आवश्यकता नही है। क्योंकि यह सब अलग-अलग होते हुए भी अधूरे ही सलाह दे पाते हैं।
अमूल्य जीवन के पड़ाव में, आपको विशिष्ठ व्यवसायिक मनोज्योतिषविद् की आवश्यकता है। जो आपके जीवन के विभिन्न पड़ाव को व्यक्तिगत होकर सम्पूर्ण व्यक्तित्व का बारीकी से भूत-वर्तमान-भविष्य का अध्ययन, खोज और विश्लेषण कर आपके समक्ष प्रस्तुत करें और आगामी जीवन फल का मूल्यांकन कर अगले जीवन के पड़ाव के लिए सहज अवस्था को बनाए हुए मार्ग प्रशस्त करें।
मन एक अदृश्य संरचना है जिसे स्थूल दृष्टि से देख पाना असंभव है परंतु मन के विज्ञान की दृष्टि से मन की विविध सतहों को जान पाना संभव है।
मनुष्य के मन का परिमाण निर्धारित करना असंभव है क्योंकि यह आवृत्ति पट और विस्तार के आधार पर कार्यशील होता है।
मनुष्य के मन की संरचना का आधार उसके जन्मोंजन्म के संस्कार और कर्मसत्ता है।
मन के अंदर जन्मोंजन्म के आज तक के संस्कारों की सतह जमीं हुई हैं जिसके आधार पर मस्तिष्क अपने कार्य और निर्णय करता है।
मन की कार्यशील ता कर्म-सिद्धांत के दिव्य नियमों के आधार पर होती है।
मन दूसरों के अलावा स्वयं पर भी एकाग्र हो सकता है और एकाग्र होते-होते मन स्वयं के ही पार जा सकता है-यही अध्यात्म साधना का परम आधारभूत सिद्धांत है।
मन की गहरी सतहों में संपूर्ण ब्रह्म-सत्ता और दिव्य सिद्धांतों के स्वरूप की भरपूर जानकारी है।
मनुष्य के मन में संस्कारों के कारण 'अहं' की सत्ता व्याप्त है जो हर तर्क और हर भावना के साथ मैं मेरा जोड़ता है और संकुचित मान्यताओं को दृढ़ करता है।
मन शरीर के भीतर व्याप्त होने के बावजूद भी शरीर का हिस्सा नहीं है परंतु इसकी दिव्य-शक्तियों के सहयोग से मस्तिष्क की संभावनाओं को उजागर व सक्रिय किया जा सकता है।
मन के स्तर पर सुधार, उपचार या रूपांतरण करना हो तो मन के विज्ञान की विधि क्रिया व साधना के अनुशासन से ही संभव होता है।
‘शब्द’ को भी ब्रह्म कहा गया है। विपरीत युग्मों को एक श्रृंखला में बाँधने का काम शब्द-ब्रह्म के द्वारा ही होता है। मानसिक क्षेत्र की उत्पत्ति का प्रारम्भ भी शब्द से हुआ है।
शब्द-ब्रह्म विचार की अपेक्षा कुछ सूक्ष्म हैै। व्यक्ति के प्रकृति स्वरूप विपरीत युग्मों के अन्तराल में एक शब्द-ब्रह्म प्रतिक्षण उठती रहती है, जिसकी प्रेरणा से आघातों द्वारा इन्द्रियों में गति उत्पन्न होती है और मानसिक क्षेत्र पर समस्त क्रिया-कलाप चलता है। शब्द साधना से मनोसिद्धि प्राप्त करें।
मन का ईंधन अभाव है। यह अभाव मन को कार्य करने में गति प्रदान करता है। अभाव के कारण मन मानसिक आयाम पटल के दो छोरों के बीच गतिमान होता रहता है। यह अभाव दो प्रकार के होते हैं- मनोजनित अभाव और परिस्थितिवश अभाव। यह अभाव की दशा और दिशा निर्धारित करती है कि आयाम (अपूर्णता से पूर्णता) के किस बिंदु पर मन कहां पर टिका है?
मन अभाव को मिटाकर के पूर्णता को स्थापित करने में सदा कार्यशील रहता है। मन के द्वारा मनोदैहिक ऊर्जा का दोहन होता रहता है। इस प्रक्रिया से मन और शारीरिक शक्ति में ह्रास का बोध होता है। इस ह्रास के *लक्षणा* है- नींद नहीं आना, कार्यस्थल पर थकावट या बुझा-बुझा सा लगना या चिड़चिड़ापन या बात-बात पर क्रोध आना, आदि।
मनोज्योतिषम् का समस्या समाधान ही उद्देश्य है॥ भारतीय वैदिक ज्योतिष और भारतीय वैदिक मनोविज्ञान का संमिश्रित विधि से निदान व्यक्तिगत परामर्श पद्धति द्वारा किया जाता है॥ यह एक सहज एवं सटीक विशिष्ट विज्ञान विश्लेषण प्रणाली पर आधारित है॥ इस ज्ञान से अवगत कराकर अपने और अपनो को लाभान्वित करायें और व्यक्तिगत जीवन को सफलता प्रदान करायें॥
आपके आसपास आपसे आपने भविष्य के ओहापोह के संबंध में जिक्र करता हो और कुछ सूझबूझ न रहा हो तब मनोज्योतिषम् के बारे में बतायं और व्यक्तिगत समाधान में सहयोग प्रदान करें।
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