मन और जीवन
प्र. मन का जीवनशैली से क्या संबंध है?
उ. किसी भी व्यक्ति का मन का विकास उसकी जीवनशैली को निर्धारित करता है।
मन का विकास तब होता है जब व्यक्ति की समझ मानसिक पटल पर आधारित होती है। मन की विभिन्न अवस्था मानसिक पटल पर परिलक्षित होता रहता है। व्यक्ति के द्वारा समय-समय पर अपनाया जाता है।
मन के विकास के अनुसार मनुष्य का जीवनशैली तीन प्रकार से *डॉट/DOT* पर व्यक्त होता है:-
*पहले* वो जो किसी भी प्रवृति में कल्पनाएं करते हैं और कठिनाईयों को जन्म देते हैं। यहां तक कि अपना काम शुरु होने से पहले और खत्म होने तक भी वो कुछ नहीं करते हैं। वो उन कारों के जैसे होते हैं जो बिना धक्का दिये शुरु नहीं होते।
*दूसरे* तरह के लोग सरस की तरह के होते हैं। वो प्रेरित होकर शुरुआत तो करते हैं लेकिन दृढ़ता की कमी के कारण हार मान लेते हैं।
*तीसरे* वो होते हैं जो जितना अधिक चुनौतियों और समस्याओं का सामना करते हैं, उतना ही अधिक अपने काम को पूरा करने के लिए प्रेरित होते हैं।
आप जीवन को सफल बनाने के मंत्र पर ध्यान दें। *डॉट/DOT* पर शोध द्वारा प्राप्त *पाँच मंत्र* जीवनशैली को सफल बनाते है:-
1. अपने मन के लिए आप खुद ही जिम्मेदार होते हैं।
2. जैसा आपका मन होता है, वैसे ही आपके विचार होते हैं।
3. जैसे आपके विचार होते हैं, वैसे ही आप इस दुनिया को देखते हैं।
4. जैसा आप इस दुनिया को देखते और इससे व्यवहार करते हैं, वैसा ही अनुभव आपको प्राप्त होता है।
5. जैसा अनुभव आपको प्राप्त होता है, आपके जीवन की गुणवत्ता बिल्कुल वैसी ही होती है।
प्र. आंतरिक यात्रा या मानस यात्रा इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
उ. इसीलिए की अंदर से भी मुक्त होना है। बाहरी यात्रा की सफलता भी अंतर्यात्रा या मानस यात्रा से ही सफल होती है। अंतर्यात्रा ही तो है , जो भ्रमण को तीर्थ यात्रा बनाने में सक्षम है। संतों ने भी इसके महत्व को अपनी आम बोली मे समझाया है।
मोह माया व्यापे नहीं जेने , दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे। राम नाम शुं ताली लागी , सकल तीरथ तेना मनमां रे॥---नरसी मेहता
कबिरा मन निर्मल भया , जैसा गंगा नीर। पाछे - पाछे हरि फिरै कहत कबीर॥---कबीर
' मन चंगा तो कठौती में गंगा। '---रैदास
मानस यात्रा का मतलब है कि स्वयं के उद्गम अर्थात अपनी चेतना के उद्गम या मूल बिंदु तक पहुंचना है।
यह मानस यात्रा ही सबसे महत्वपूर्ण यात्रा है। आंतरिक यात्रा ज्यादा महत्वपूर्ण और उपयोगी है।
*डॉट/DOT* पर अंतर्यात्रा या मानस यात्रा कर स्वयं के उद्गम अर्थात अपनी चेतना के उद्गम या मूल बिंदु तक प्रयास, प्रयोग और प्रबंधन द्वारा सरलता से सीखकर पहुंचा जा सकता है।
प्र. संकल्प शक्ति क्या है? इसका रहस्य क्या है?
उ. जब मन की संकल्प शक्ति बढ़ जाती है। तब हम कठिन से कठिन काम भी करने में समर्थ हो जाते हैं । क्योंकि हमारी काम करने की क्षमता बढ़ जाती है।
मनोविज्ञान भी इसका समर्थन करता है। मनुष्य द्वारा कोई संकल्प लेने पर मस्तिष्क में विद्यमान न्यूरॉन्स अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं और जब एक न्यूरॉन दस न्यूरॉन्स को और आगे इसी क्रम में हजारों-लाखों न्यूरॉन्स एक ही संकल्प का आह्वान करने लगते हैं , तो मानव कठिन और असंभव माने जाने वाले काम भी करने में समर्थ हो जाता है।
मानव जीवन में संकल्प शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिसकी संकल्प शक्ति दृढ़ होती है , वह बड़ी से बड़ी समस्या देखकर भी हार नहीं मानता और कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी अपने मनोनुकूल मोड़ देने में सफल हो जाता है।
मन की संकल्प शक्ति , स्थूल नहीं है बल्कि सूक्ष्म है , परन्तु इसका प्रभाव स्थूल रूप में शब्दों और वाक्यों के रूप में भली-भांति प्रत्यक्ष होता है। संकल्प शक्ति बलवती होती है , तो मानव कुछ अधिक सार्थक करने की स्थिति में आ जाता है।
ऐसी परिस्थिति में मन की संकल्प शक्ति जितनी अधिक दृढ़ होती है , वह उतना ही बड़ा वरदान सिद्ध होती है।
मन की संकल्प शक्ति को सही दिशा मिलती रहेगी तभी मानव सही दिशा में अग्रसर होकर मानवता को जीवंत बना सकेगा।
आज जो सबसे बड़ी आवश्यकता महसूस होती है। मानव की संकल्प शक्ति को सही दिशा देने की आवश्यकता है।संकल्प शक्ति का अध्ययन *डॉट/DOT* पर सहज और सुलभ है।
प्र. यह जीवन क्या है?
उ. जय-पराजय , सुख-दु:ख , सफलता-असफलता , आशा-निराशा तो जीवन में धूप-छांव की भांति आते-जाते रहते हैं। हर प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे निरंतर सफलता और सुख मिलता ही रहे और कभी पराजय का मुख नहीं देखना पड़े। पर यह तो संभव नहीं है। लेकिन मन का विज्ञान की ज्ञान तथा कला सीख लेने पर विशिष्ठ सोच के द्वारा मानसिक अवस्था के सहज भाव मे मन को स्थापित कर जीवन को नये नजरिए से देखना आ जाता है।हर प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सभी तरह के प्रसंग आते हैं और वे चले भी जाते हैं।
यदि सहज भाव में मन को स्थापित करके जीना सीख लें , तो जीवन में आने वाले बहुत सारे दुख अपने आप कम हो जाते हैं। इनके लिए कोई बहुत बड़ी योग साधना या उपाय नहीं करना होता है , न ही इसके लिए कोई गूढ़ फॉर्मूला है। जब मन सहज भाव में *डॉट/DOT* पर स्थापित हो जाता है। तब जिंदगी की बेहद छोटी-छोटी बातें भी खूबसूरत बन जाती हैं।
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